बावन हफ्तों का खेल था
इश्क भी देखा .. और वफ़ा भी
होश भी संभाला ... और अदा भी
दुनिया भी देखि.. और आइना भी
कीमत भी तोली .. और जफ़ा भी
वक़्त पहचाना हमने.. और इंसान भी
हक भी मांगी हमने.. और दुआ भी
आंसू भी खोये हमने.. और मुस्कान भी
चैन भी पाया हमने.. और खुदा भी
भरोसा भी समझा.. और दगा भी
लूट गए यार पे..
.. हुए फनाह भी
समेत ली ज़िन्दगी.. कर लिया फैसला..
फिर तेरी याद आई.. और सोचा...
... मिले भी तुझसे.. हुए जुदा भी..।
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